मुरादाबाद में दंगे की 40 साल पुरानी जांच रिपोर्ट को मंजूरी, रिपोर्ट योगेश मुदगल

लखनऊ, विशेष संवाददाता। योगी कैबिनेट ने मुरादाबाद में 43 साल पहले हुए दंगों की जांच के संबंध में गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को 40 साल बाद शुक्रवार को मंजूर कर लिया है। सरकार ने इस गोपनीय रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक न करने का निर्णय लिया है। लेकिन इसे विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। हैरत तो यह कि इसकी रिपोर्ट 40 साल पहले सरकार को दी गई थी लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस व सपा-बसपा सरकारों ने इसे कैबिनेट से मंजूरी की अनुमति तक नहीं दी।
मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 को सुबह ईद की नमाज के वक्त उत्पन्न विघ्न व उसके स्वरूप दंगे हुए थे। इसमें 83 लोग मारे गए और 112 व्यक्ति घायल हुए। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के बाद इस मामले में पत्रकारों को जानकारी दी। वित्तमंत्री ने कहा कि डॉ. शमीम अहमद खान एवं उनके समर्थकों ने ईदगाह में गड़बड़ी पैदा करने के लिए रणनीति बनाई थी। मंशा थी कि प्रशासन को बदनाम कर इसकी जिम्मेदारी वाल्मीकि समाज और पंजाबी हिंदुओं पर डालकर अपनी छवि सुधार सकें। मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने 20 नवंबर 1983 को सरकार को सौंप दी थी
रिपोर्ट में अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्थिति को नियंत्रण करने के लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही की पर्याप्तता व औचित्य का निर्धारण किया है। इसमें अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है।
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