जनाबे सैय्यदा का रौज़ा तोड़े हुए 100 वर्ष पूरे। हाए ज़हरा की सदा के साथ उमड़ा हज़ारों का हुजूम

जनाबे सैय्यदा का रौज़ा तोड़े हुए 100 वर्ष पूरे। हाए ज़हरा की सदा के साथ उमड़ा हज़ारों का हुजूम।

वाराणसी अंजुमन हैदरी चौक वाराणसी के तत्वाधान में शहर की मातमी अंजुमनों के आह्वाहन पर 10 बजे दिन में कालीमहल स्थित शिया मस्जिद से जुलूस उठाया गया जो अपने पारम्परिक रास्तों नईसड़क दालमंडी चौक बुलानाला मैदागिन विशेश्वरगंज होता हुआ 1 बजे दिन में शिया जामा मस्जिद दारानगर पहुँचकर जलसे में परिवर्तित हो गया। अंजुमन हैदरी के जनरल सेक्रेटरी नायब रज़ा के संयोजन में चल रहे इस जुलूस में सभी मातमी अंजुमनें अपने अपने निशान अलम के साथ चल रही थीं।
ज्ञात हो कि आज से 100 वर्ष पूर्व इस्लामी माह शव्वाल की 8 तारीख को सऊदी अरब की तत्काल हुकूमत नें पैग़म्बर मुहम्मद साहब की इकलौती बेटी जनाबे सैय्यदा और 4 इमामों की क़ब्रों पर बने रौज़ों को बुलडोज़र चला कर गिरा दिया था जिससे पूरी दुनिया में मुहम्मद साहब के परिवार से अक़ीदत रखने वालों में ग़म ओ गुस्से की लहर दौड़ गई थी। उस समय से आज तक बनारस में अंजुमन हैदरी के तत्वाधान में विरोध स्वरूप एक जुलूस उठाया जाता है और सऊदी सरकार से उन रौज़ों के पुनर्निर्माण की मांग की जाती है।
जुलूस में चल रहे हज़ारों अकीदतमंद आले सऊद होश में आओ.. ज़हरा का रौज़ा जल्द बनाओ की आवाज़ बुलंद कर रहे थे। उलेमा ए बनारस की क़यादत में चलने वाला ये जुलूस जब शिया जामा मस्जिद पहुँचा तो जलसे का आयोजन हुआ जिसमें तक़रीर करते हुए मौलाना तौसीफ़ अली मौलाना ज़ाएर हुसैन मौलाना फ़रमान हैदर ने भारत सरकार से मांग की वो उनकी आस्था का मान रखते हुए सऊदी सरकार पर दबाव बनाए और उनकी मांग को पूरा करने की कोशिश करे। जलसे के बाद मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना अक़ील हुसैनी ने कहा कि कल जब मुहम्मद साहब के घर वाले इस दुनिया में थे तब भी उन्हें चैन से रहने नहीं दिया गया और सब को शहीद किया गया और आज भी उनकी क़ब्रों को ढहा कर ज़ुल्म का सिलसिला जारी है जिसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इमामे जुमा मौलाना ज़फ़र हुसैनी ने रौज़े के पुनर्निर्माण के लिए दुआख्वानी करवाई। जलसे का संचालन अंजुमन हैदरी के अध्यक्ष सैय्यद अब्बास मुर्तज़ा शम्सी ने किया। जुलूस में शहर बनारस की सभी मातमी अंजुमनों समेत मौलना शमीमुल हसन साहब मौलाना ज़मीर हसन साहब मौलाना नदीम असग़र साहब मौलाना अमीन हैदर साहब मौलाना मेहदी रज़ा साहब, मौलाना इश्तियाक अली साहब मौलाना वसीम असग़र साहब मौलाना इक़बाल हैदर साहब मुनाज़िर हुसैन मंजु हाजी फ़रमान हैदर समेत अंजुमन हैदरी के सभी पदाधिकारी एवं शहर के मोमिनीन हज़ारों की संख्या में मौजूद थे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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