दानवीर भामाशाह की जन्म जयन्ती पर नमन और सच्ची श्रद्धांजलि ही मित्रता का प्रतीक-शशिप्रताप सिंह

राष्ट्रीय समता पार्टी नेप के कार्यालय पर भामाशाह की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया रासपा संयोजक शशिप्रताप सिंह ने बताया कि भारमल को राजस्थान का प्रथम भामाशाह कहा जाता था जो कि भामाशाह के पिता थे भामाशाह का जन्म 29 अप्रैल 1547 ईस्वी में हुआ था। महाराणा प्रताप के आर्थिक रूप से मुख्य सहयोगी होने के कारण भामाशाह का नाम मेवाड़ में आज भी श्रद्धा और आदर के साथ लिया जाता है। भामाशाह ने महाराणा प्रताप की आर्थिक मदद तो की ही थी लेकिन उन्होंने कई युद्धों में भी भाग लिया था।
उन्होंने तन-मन से मातृभूमि की सेवा की थी इसके साथ ही जब आक्रांताओं से लड़ने के लिए मेवाड़ राज्य को धन की जरूरत पड़ी तो उन्होंने अपने सभी संसाधन महाराणा प्रताप को सौंपते हुए इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया था देलवाड़ा के जैन मंदिर का निर्माण भामाशाह ने आबू पर्वत बनवाया था। आज भामाशाह को दानवीर भामाशाह के नाम से जाना जाता है आपसी भाईचारा ही सच्ची श्रधांजलि है।