राष्ट्रीय शिक्षा नीति संभावनाओं की तलाश विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संभावनाओं की तलाश विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन।

अकादमिक समिति तथा प्रशिक्षण एवं रोज़गार केंद्र, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: संभावनाओं की तलाश विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के प्लेनरी सेशन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश के निदेशक प्रो. ब्रह्म देव ने भविष्य में एन. ई. पी. 2020 के क्रियान्वयन के परिणाम स्वरूप आने वाली चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किये। आपने कहा कि ऑनलाइन माध्यम से दी जाने वाली शिक्षा सस्ती तो अवश्य है परंतु इसके कारण विद्यार्थियों में जीवन मूल्यों के प्रति उदासीनता में बढ़ोतरी सामाजिक कौशल का अभाव एवं शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हमें भौतिक एवं आभासी माध्यमों में सामंजस्य बनाने की नित्तान्त आवश्यकता होगी। मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के आचार्य प्रो. अजय कुमार त्यागी ने अपने समालोचनात्मक व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में आने वाली सभी व्यवहारिक समस्याओं पर विस्तार से अपने विचार रखे और सभी शिक्षकों एवं शिक्षाविदों से मुखर होकर इन समस्याओं पर अपने अधिकारियों के समक्ष बेबाकी से अपनी बात रखने का आह्वान किया। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी डॉ.ज्ञान प्रकाश वर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का महाविद्यालयों में क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं पर अपने अनुभव एवं विचार साझा किया। विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के आचार्य प्रो.रमा कांत सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित क्रेडिट बैंक की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की। प्लेनरी सत्र के अध्यक्ष मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने अपने निष्कर्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्राचीन एवं क्षेत्रीय भाषा एवं साहित्य के पुनरुत्थान से संबंधित अध्यायों पर बल डाला। प्लेनरी सत्र का संचालन डॉ.आयुष कुमार द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय द्वारा दिया। द्वितीय दिवस के अगले वैज्ञानिक सत्र की अध्यक्षता क्रमशः प्रो.एन. एस. कामिल निदेशक पुरातन छात्र प्रकोष्ठ एवं डॉ. संदीप गिरी सह आचार्य समाज कार्य विभाग द्वारा किया गया। सत्र का समन्वयन डॉ. मुकेश कुमार पंथ सहायक आचार्य मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया। इस सत्र में कुल 15 शोध पत्रों की प्रस्तुति की गई। समापन सत्र में महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आज़मगढ़ के कुलपति प्रो. पी. के. शर्मा ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बनाने में शिक्षा जगत द्वारा किये गए समावेशी एवं व्यापक प्रयासों तथा इस शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन से वर्तमान एवं भावी विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ गुणवत्तापरक जीवन के लिये अनिवार्य कौशल का भी विकास सुनिश्चित होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो. डब्लू. जी. प्रसन्ना ने अपने वक्तव्य में सभी पाठ्यक्रमों में सम्मिलित विषयों को कौशल के साथ जोड़ने की शिक्षा नीति में दिये गए बिंदुओं तथा उनके रोज़गार के क्षेत्र में महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. प्रसन्ना ने पढ़ाई के साथ-साथ कमाई पर बल दिया और विद्यार्थियों को सेल्फ-हेल्प-ग्रुप्स बनाने की बात कही। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक शिशु की तरह है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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