
झूठों का बोलबाला! सच्चों का मुंह काला!!
रसोई गैस माफिया के पक्ष में उतरे तमाम छुटभैये नेता!
गैस माफिया का वीडियो अपलोड करने वाले पत्रकार को मिली रहीं धमकियां और लिखाये जा रहे झूठे मुकदमें!
अलीगढ़ के एक छुटभैये चिल्ली चोर से थर-थर कांपता है क्वारसी थाना!
अलीगढ़। महानगर अलीगढ़ के क्वारसी क्षेत्र में रसोई गैस माफिया प्रकरण तूल पकड़ता जा रहा है। रसोई गैस की कालाबाजारी और रिफलिंग करने वाले गैस माफिया के पक्ष में तमाम छुटभैये पजम्मा छाप नेता थाना क्वारसी पर धमा चौकड़ी मचाये रहते हैं। रसोई गैस की कालाबाजारी में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाने वालों के चेहरे सामने आ रहे हैं। ये छुटभैये चाहते हैं कि रसोई गैस कालाबाजारी का ये धन्धा अनवरत रूप से चलता रहे। जिला पूर्ति अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। क्यों कि उन्हें गैस की यह कालाबाजारी दिख ही नहीं रही है। बीते सोमवार को वायरल हुए एक वीडियो ने गैस की कालाबाजारी में लिप्त कई चेहरे उजागर कर दिये हैं। सभी जानते हैं कि जब एक चोर पकड़ जाता है तो दूसरे चोरों के दिल की धड़कनेें भी बढ़ जाती हैं। महानगर अलीगढ़ के क्वारसी क्षेत्र की यह कहानी शुरू होती है बीते दो अप्रेल से।
होली चौक क्वारसी पर यशपाल सिंह नाम का गैस माफिया बीते कई वर्षों से रसोई गैस की कालाबाजारी एवं अवैध गैस रिफलिंग का कारोबार करता चला आ रहा है। डिजिटल मीडिया से जुड़े कुछ लोगों ने रविवार को एक वीडियो गैस माफिया की दुकान का बना लिया साथ ही वह वीडियो भी बना लिया जिसमें गैस माफिया ने यह स्वीकार किया है कि वह गैस कालाबाजारी का यह अवैध कारोबार पिछले दो तीन साल से कर रहा है। जब वीडियो वायरल हुआ तो पीपीडी खबर चैनल ने इस वीडियो को सलीके से एडिट करके सोेमवार को अपलोड कर दिया। अब गैस माफिया ने सिफारिश के घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिये। सबसे पहले यह पहुंचा एक छुटभैये नेता के पास तो उसने वीडियो बनाने वाले पत्रकार को फोन पर खूब धमकियां और गाली गलौज की। परन्तु जब बात नहीं बनी तो गैस माफिया यशपाल ने एक योजना बनाई और करीब एक दर्जन से अधिक छुटभैये नेताओं को खरीदा और पांच अप्रेल की रात एक फर्जी मुकद्दमा थाने पर दर्ज करा दिया।
चूंकि पीपीडी खबर चैनल के सम्पादक अखिलेश कुमार वशिष्ठ जो कि दैनिक राजपथ के भी एटा में संवाददाता हैं। मुकद्दमें में हरिजन एक्ट, धोंस, वसूली और ना जाने कौन कौन से अनर्गल आरोप लगाये गये हैं। खैर ये सब कानून और जांच का विषय है। गैस माफिया का मकसद था तो सिर्फ यह कि किसी तरह दबाब बनाकर वीडियो डीलेट करा दिया जाये। पांच अप्रेल की रात को गैस माफिया ने पीपीडी खबर चैनल की माइक आईडी भी गुण्डों को साथ लेकर छीन ली। बताते चलें कि दैनिक राजपथ के संवाददाता अखिलेश कुमार वशिष्ठ की बेटी अलीगढ़ के एक कॉलेज में विधि की छात्रा है। इसीलिये उनकी पत्नी व बेटी क्वारसी क्षेत्र में एक किराये के मकान में रहते हैं। बीते शुक्रवार रात्रि करीब साढ़े आठ नौ बजे होली चौक गली नंबर एक से बाइक पर सवार होकर अपने साथी दीपक कुमार के साथ निकल कर जा रहे थे तभी पहले से घात लगाये बैठा गैस माफिया यशपाल सिंह अपने कई अन्य साथियों एवं कालाबाजारी में सहयोग करने वाले अराजक तत्वों के साथ पत्रकार अखिलेश वशिष्ठ व साथी दीपक कुमार पर टूट पड़े और हमला कर दिया। जब सूचना क्वारसी थानाध्यक्ष को दी तो उन्होंने दो पुलिसकर्मी मौका ए वारदात पर भेज दिये। गैस माफिया के हौसले इतने बुलन्द थे कि उसने पुलिसकर्मियों को घिरवा कर बृजराज गौतम के मकान में बंद करा लिया। पत्रकार अखिलेश कुमार वशिष्ठ व साथी दीपक कुमार किसी तरह जान बचाकर थाने पर पहुंचे और पुलिस कर्मियों को बंधक बनाये जाने की सूचना थाने पर दी। इस पर प्रभारी निरीक्षक अरविन्द राठी स्वयं पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और पुलिस कर्मियों को बंधन मुक्त कराकर कई आरोपियों को पकड़कर थाने ले आये। आरोपियों से पूछताछ और कार्यवाही हो भी नहीं पायी थी तब तक एक छुटभैया नेता विनोद पाण्डेय पुत्र ताराचन्द निवासी न्यू अशोक नगर थाना देहली गेट जिला अलीगढ़ अपने पूरे गिरोह के साथ आ धमका और पकड़े गये आरोपियों को छुड़ा ले गया। इतना ही नहीं थाने पर जमकर हंगामा भी काटा और थाने में घुसकर पुलिस और शासन विरोधी नारे भी लगाये। इस दौरान थाने पर मौजूद सभी पुलिसकर्मी डरे सहमे नजर आ रहे थे। यदि क्वारसी थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले जायें तो आप देखकर हैरान रह जायेंगे कि थाना पुलिस इस विनोद पाण्डेय नाम के डॉन से किस तरह थर-थर कांपती है? मजे की बात तो यह है कि इस पूरे प्रकरण में पत्रकार व पुलिस पर हमला करने वाले सभी आरोपियों को थाने से ही छोड़ दिया गया जबकि हमलावरों का शिकार हुये पत्रकार अखिलेश कुमार वशिष्ठ व साथी दीपक कुमार को हवालात में डाल दिया गया और दूसरे दिन चालान भी कर दिया गया। अब आप बताइये कि ऐसी पंगु थाना पुलिस से क्या सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है? जहां एक दो कौड़ी का आदमी रात को दारू पीकर लगभग रोज हंगामा करता हो! किसी को छुड़ाता हो! किसी को पकड़वाता हो! झूठे मुकद्दमे सीधे साधे लोगों पर दर्ज कराता हो? शायद सुरक्षित नहीं हैं इस क्षेत्र में लोग! खैर अब पीड़ित पत्रकार अखिलेश कुमार वशिष्ठ मुख्यमंत्री दरबार में अपनी व्यथा लेकर पहुंचे हैं। अब देखना यह है कि जीत कालाबाजारी करने वाले गैस माफिया की होगी या कलम के सिपाही की? यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।