मेडिकल कॉलेज आन्दोलन से नदारत रही भाजपा

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आग लगे हमरी झुपडिया में हम गायें मल्हार

मेडिकल कॉलेज आन्दोलन से नदारत रही भाजपा

सांसद, भाजपाई विधायक और जिलाध्यक्ष ने बरती दूरी

कटनी शहर में उच्च शिक्षा संस्थान खोले जाने वाली प्रमुख मांगों में से एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन की कड़ी में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। शहर की महत्वपूर्ण मांग को जिस तरह का राजनीतिक और जन समर्थन मिलना चाहिए वह दिखाई नहीं दिया।

राज्य की सत्ता पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सांसद, तीनों विधायक सहित जिलाध्यक्ष ने धरना प्रदर्शन से दूरी बनाये रखी। इसी तरह जिनके पेट गले तक भरे हुए हैं तथा जिनके पेट पीठ से चिपके हुए हैं उनने भी धरना स्थल पर आने की जहमत नहीं उठाई। बाकी रहा मध्यम वर्ग तो वह रोज की भांति अपनी रोजी-रोटी के जूझता रहा।

चूंकि यह साल चुनावी साल है इसलिए अपनी अपनी जमीनी संभावनाओं को तलाशने के लिए भाजपा को छोड़कर कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के लोग धरना-प्रदर्शन को समर्थन देने जरूर पहुंचे।

विगत चार पंचवर्षीय से भाजपा का प्रत्याशी कटनी से विधानसभा में प्रतिनिधित्व करता चला आ रहा है इसलिए भाजपा यह मान कर चल रही है कि कटनी की जनता पांचवीं बार भी झक मारकर भाजपा के प्रत्याशी को ही विधायक चुनेगी।

और भाजपाईयों का ऐसा सोचना गलत भी नहीं है। अभी 6 महीने पहले ही हुए नगर निगम के चुनाव में कटनी की जनता ने भाजपा की नगर सरकार एकबार फिर से चुनी है जबकि पिछले दो दशक से भाजपाई नगरीय सरकार ने शहर का चहुंमुखी कबाडा ही किया है।

दानदाताओं द्वारा बनवाकर दिए गए शिक्षा संस्थानों की दुर्दशा जिस तरह से पिछले दो दशक में नगरीय सरकार ने की है वह किसी से छिपी नहीं है इसके बावजूद सारे शहर में मरघट से भी ज्यादा सन्नाटा पसरा दिखता है।

तो जहन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि मुरदों के शहर में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग काॅलेज, नर्सिंग काॅलेज आदि खोले जाने का औचित्य क्या है ? शायद यही वजह है कि ऊंगलियों में गिने जाने वाले चंद लोगों (जिन्हें शायद सत्ता नशे में चूर लोगों द्वारा सिरफिरा समझा जा रहा है) द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को समर्थन देकर मुरदाई शहर में क्यों कर जान फूंकी जाय।

अभी विधानसभा चुनाव को 6 माह से ज्यादा समय बाकी है और इस बीच भाजपाईयों को अपने घोषणावीर और घरणचाटू मीडिया पर पूरा भरोसा है कि वह जिले की चारों विधानसभा सीटें जनता को मुंगेरीलाल के सपने दिखा कर जितवा ही देगा।

नेताओं के श्वानों तक के बर्थ-डे की मय फोटो आधे पेज में खबर छापने वाले कतिपय अखबारों ने मेडिकल कॉलेज खोलने वाली जनहितैषी मांग को लेकर किए गए धरना-प्रदर्शन की खबर को नक्कारखाने में तूती की आवाज माफिक दबा कर एक कोने में छाप दिया गया। जिसे आंदोलन से दूरी बनाए रखने वालों के लिए पौष्टिक आहार ही कहा जा सकता है।

देखना दिलचस्प होगा कि मंच द्वारा मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर चलाया जा रहा आंदोलन किस मुकाम तक पहुंच पाता है। सातवें आसमान पर उड रहे भाजपाईयों का गरूर बरकरार रहता है या फिर मुरदाई शहर वासी करवट बदलते हैं। इंतजार तो करना ही होगा।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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