मच्छर भगाने वाले कॉइल से 6 लोगों की मौत

दिल्ली में मच्छर भगाने वाले कॉइल से 6 लोगों की मौत, बड़ा सवाल- क्या लिक्विड और फास्ट कार्ड भी सेफ नहीं? तो फिर मच्छर से फिर खुद को कैसे रखें सुरक्षित?

दिल्ली का एक परिवार मच्छर भगाने वाला कॉइल जलाकर सोने चला गया. घर के खिड़की और दरवाजे बंद थे. इससे कमरे में धुआं भर गया और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकली. इसी बीच कॉइल की आग गद्दे पर गिरी और कमरे में आग लग गई. इस वजह से सोते समय 6 लोगों मौत हो गई. वहीं 2 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया. गर्मी के मौसम में मच्छर बढ़ जाते हैं. इससे बचने के लिए आप सब भी दिल्ली के इस परिवार की तरह सोते टाइम कॉइल, अगरबत्ती या दूसरे रेप्लिकेंट इस्तेमाल करते होंगे.

क्या आप जानते हैं कि मच्‍छरों से निजात देने वाले यही रेप्लिकेंट कई तरह की बीमारियों का कारण है. इसके जहरीले धुएं से जान तक जा सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक मच्छर मारने वाली कॉइल और अगरबत्ती में पायरेथ्रिन पेस्टीसाइड, डाईक्लोरो-डाईफेनाइल-ट्राईक्लोरोइथेन(DDT), कार्बन फॉस्फोरस जैसे हानिकारक तत्व होते हैं. अगर बंद कमरे में रातभर या कुछ घंटे तक कॉइल या अगरबत्ती जलाकर सोते हैं तो कमरे के अंदर की गैस बाहर नहीं निकल पाती. पूरे कमरे में कार्बन मोनोक्साइड भर जाती है. ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगती है. धीरे-धीरे कार्बन मोनोक्साइड कमरे में मौजूद लोगों के शरीर में भरने लगता है. जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और दम घुटने से मौत होने की पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है.

कॉइल पर हुए यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की एक रिसर्च में यह पाया गया कि मच्छर मारने वाली एक कॉइल जलाने से लगभग 100 सिगरेट जितना धुआं निकलता है. इसका मतलब यह सिगरेट से भी ज्यादा डेंजरस होती है. सिर्फ कॉइल या अगरबत्ती ही नहीं, अगर आप किसी भी ऐसी चीज का इस्तेमाल मच्छर भगाने के लिए कर रहे हैं, जिससे धुआं निकलता है तो कई तरह के हेल्थ इश्यूज हो सकते हैं.

बाजार में मिलने वाले नो स्मोक कॉइल में धुआं तो नहीं होता, पर कार्बन मोनोऑक्साइड काफी ज्यादा निकलती है. इससे भी 100% लंग्स को नुकसान होता है. अगर नगर निगम की गाड़ी की बात करें तो ये धुआं खुली जगह पर करती है जिससे जो भी धुंआ होता है वो पूरे वातावरण में फैल जाता है. धुएं वाली गाड़ी हफ्ते में एक या दो बार ही आती है. इस वजह से इससे इतनी ज्यादा दिक्कत नहीं होती है.

कॉइल, अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं किस तरह डेंजरेस है यह आप अब तक जान चुके हैं. लिक्विड भी सेफ नहीं. इसमें एलेथ्रिन और एयरोसोल का मिश्रण होता है. जो कीटनाशक है. बोतल के ऊपरी सिरे पर काले रंग की इलेक्ट्रोड रॉड लगी होती है. जब रॉड गर्म होती है तो इसमें से धीरे-धीरे लिक्विड धुआं बनकर निकलना शुरू हो जाता है, जो लंग्स को नुकसान पहुंचाता है. कुछ लोग मच्छरों से बचने के लिए स्किन पर क्रीम और कपड़ों पर रोल-ऑन लगाते हैं. ये क्रीम और रोल-अप आपको मच्छरों से तो बचाती है लेकिन इससे स्किन को प्रॉबल्म हो सकती है. अगर आपकी मजबूरी है तो मच्छरों को भगाने के लिए लिक्विड या कॉइल का यूज एक से दो घंटे से ज्यादा न करें. कुल मिलाकर मच्छर से बचने का सेफ उपाय मच्छरदानी ही है. इससे आपको सांस लेने में भी तकलीफ नहीं होगी और मच्छरों से होने वाली बीमारियों से भी बचेंगे.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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