विश्व में गौ-दान व गौ-सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है -: राजू आर्य
एटा। भारतीय गौरक्षा वाहिनी के ब्रज प्रांत अध्यक्ष राजू आर्य ने एक मुलाकात के दौरान कहा कि गौमाता के अंग-अंग में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गौ दान से बढ़ कर न तो कोई पुण्य है और न ही धर्म है। जो लोग बिना किसी स्वार्थ के गौसेवा करते है उसे जगत में किसी अन्य परमार्थ करने की आवश्यकता ही नहीं होती । राजू आर्य ने आगे कहा कि आज कलयुग में गौमाता की जो दुर्दशा हो रही है, इसके लिए हम सब जिम्मेदार है। प्रत्येक धर्म प्रेमी परिवार को एक गौ माता की अपने जीवनकाल में नि:स्वार्थभाव से सेवा जरूर करनी चाहिए। विशेष रूप से किसानों को गौ पालन में रूचि जरूर दिखानी चाहिए। क्योंकि गाय माता के बछड़े किसान का सबसे बड़ा धन के साथ साथ मित्र भी बताया गया है। आर्य ने कहा द्वापरयुग कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन काल के प्रसंगों को गाय के बगैर पूरा नहीं किया जा सकता। जब धरती पर दुराचार बढ़ा, सारे देवताओं में त्राही-त्राही मच गई और सभी देवता भगवान विष्णु के पास रक्षा की गुहार लेकर गए, उस समय धरती भी गाय का रूप धारण कर उनके साथ हो गई। राजू आर्य ने कहा कि गाय को हम माता का दर्जा तो देते हैं, परंतु गाय को माता मानते हुए भी हम अपने पुत्र धर्म का पालन नहीं करते, जबकि गौ माता हमें अपना दूध पिलाकर पालती है। इसके बावजूद हम गौमाता की रक्षा व सहायता के प्रति उदासीन क्यों नहीं है। गौ हत्या को शास्त्र में भी महापाप माना गया है और गौ सेवा को महाधर्म। उसका दूध अमृत समान है। उन्होंने वैसे लोगों को धिक्कारते हुए कहा कि आज के समय ये कितना दुःखद है कि जब तक गाय दूध देने लायक रहती है तब तक हम उसे दाना पानी देते रहते हैं और दूध लेते रहते है परंतु गौमाता के बूढ़ी होने पर बिना बिलम्ब किये कसाई के हाथों बेच देते हैं।
आर्य ने कहा कि भारतीय गौरक्षा वाहिनीं एक ऐसा संगठन है जो गौमाता को बचाने के लिए जी-जान से लगा हुआ है इसके साथ ही संगठन के कार्यकर्ता लोगों को गौसेवा के लिए प्रेरित करने के साथ ही गौसेवा भी कर रहे हैं जिसके लिए कई संगठन के पदाधिकारीगण बड़े मंचों पर सम्मानित भी हो चुके हैं।जो बड़े ही गौरवमयी क्षणों से अनुगृहीत होना है।