क्या सैनिक पड़ाव को कार्य स्थल का सही स्वरूप नहीं दिया जा सकता है–

@, क्या सैनिक पड़ाव को कार्य स्थल का सही स्वरूप नहीं दिया जा सकता है–
एटा-रंग महोत्सव में सर्मनाक व्यवस्थाएं-
घुसते ही कूड़े के ढेरों पर पैर पड़ते हैं निकलना भी मुंह बंद करके होता है ऊपर से बारिश ने भी चार चांद लगा दिए मंच से लेकर पूरी प्रदर्शनी में गंदगी देखकर शर्म आती है दोपहर के प्रोग्राम में जब अतिथि आकर बैठ गये तब कर्मचारी झाड़ू लगा कर धूल उड़ा रहे थे इस तरह की अविबस्थाएं देखने को पहले कभी नहीं मिली जबकि पूरा प्रशासन और नेतागण दिनभर उसी रास्ते से निकलकर मंच पर बैठकर चलते बनते हैं साल में इस सैनिक पड़ाव में दो तीन कार्यक्रम तो होते ही है और जब कभी कोई नेता आता है तब भी इस पड़ाव में व्यवस्था की जाती पर इस पर इतना खर्च नहीं किया जा सकता है कि इसे पक्का करके खास कार्यस्थल बना दिया जाए दूर दराज से ब्यापारी आते हैं और एक महीने तक हर तर की मुसीबत का सामना करते हैं किराए के तौर पर अच्छा खासा पैसा देने के बाद अगर यही हाल रहा तो भविष्य में बाहर से कोई ब्यापारी नहीं आएगा।
दीप्ति,

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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