
@,कौन कहता है तस्वीर बोलती नहीं है —
एटा के गोताखोर जुगेंद्र को हर साल प्रशासन द्वारा प्रशस्त पत्र दिया जाता है फिर चाहे 26 जनवरी हो या 15 अगस्त विचारणीय बात यह है कि हमारे एटा जिला के लिए इन दोनों भाइयों ने अपनी जान हथेली पर रखकर 350, से अधिक इंसानों और जानवरों की जान बचाई है तब इस कार्य की कीमत प्रशस्त पत्र हैं शायद इनसे सैलरी निकलती होगी जिनसे इनका परिवार पलता हो क्योंकि जब यह किसी को बचाने के लिए उफनती नहर में कूदते हैं तब यह अपनी जान की परवाह नहीं करते है खुदा ना करें उस वक्त कोई ऐसा वाकया हो मगर मच्छ या डिस बैलेंस हो जाए तो इनका परिवार कैसे चलेगा इनके छोटे-छोटे बच्चे हैं इन्हीं के ऊपर पेट और परिवार की पूरी जिम्मेदारी है शुक्र है डॉक्टर ब्रजेश यादव ने शासन और प्रशासन की बहुत बड़ी इमेज रख दी इन्हें ₹100000 की धनराशि देकर यह शर्मनाक है इतने बड़े कार्य के लिए इन्हें हर बार प्रशस्त पत्र द्वारा लॉली पॉप जैसी चीजें देकर सम्मानित नहीं इनके कार्य देखते हुए अपमानित जैसा कार्य किया जाता है बात अब करती हूं 2 जिलों के बीच की इनके जिससे इनके अधिकारों की खिल्लियां उडा़ई जा रही है पर यह निरंतर एटा के लिए कार्य,समर्पित है और एटा में ही अपने इस हौसले से डूबते हुए और मुर्दों को निकाल कर दे रहे हैं तो फर्ज फिर किसका हुआ पर सर्मनाक हमारे शासन, और प्रशासन, ने अपनी मानवता का भी परिचय नहीं दे पाया है अबतक जिस एटा के लिए इन्होंने इतना साहसी कार्य किया बदले में इन्हें एक खाली कागज का टुकड़ा लेकर हर बार हास्य का पात्र बनाया जाता है शर्मनाक हमारी व्यवस्थाओं पर इनके सम्मान के तौर पर एक रोजगार तक उपलब्ध नहीं हो सका महोदय जी सम्मान के भी कुछ नियम और कायदे होते हैं तस्वीर बहुत कुछ बोलती है समझने बाले समझ सकते हैं।
दीप्ति।