.मुलायम सिंह जी को “पद्मविभूषण” उपयुक्त कदम —

मा.मुलायम सिंह जी को “पद्मविभूषण” उपयुक्त कदम — मोदी सरकार द्वारा माननीय मुलयमसिंह जी यादव को पद्मविभूषण देने पर हमारे कई हिंदू राष्ट्रवादी मित्र सरकार को कोस रहे हैं।लेकिन अगर हम मुलयमसिंह जी के पूरे व्यक्तित्व एवं क्रतित्व पर गौर करें तो पायेंगे कि वे इस सम्मान के उपयुक्त पात्र है तथा मोदीजी का यह कदम अभिनंदनीय हैं। माननीय मुलयमसिंह जी के भाजपा/मोदीजी से प्रजातांत्रिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उनकी "भारतभक्ति" संदेह से परे थी।भारतहित के मुकाबले उन्होंने कभी किसी से राजनीतिक समझौता नहीं किया। इस पर विभिन्न प्रसंगों के स्मरण से पूर्व मैं एक तथ्य का स्मरण कराना चाहूंगा।याद कीजिए, कांग्रेस के सबसे मजबूत वोटबैंक का एक कारगर हथियार " मुस्लिम तुष्टिकरण" था, तथा जिसके बल पर 20% मुस्लिम वोट+ बिखरे/भ्रमित सेकुलर पाखंडी वोटो के आधार पर कांग्रेस 60-70 साल तक निर्विघ्न राज करती रही। इस घ्रणित संयोजन को सर्वप्रथम रणनीति पूर्वक किसने तौड़ा ? मा. मुलयमसिंह जी ने। हिंदुओं द्वारा " मौलाना" कहने के अभिषाप के बावजूद मुलयमसिंह जी ने इस वोटबैंक को तौड़कर लुटेरी/भारतद्रोही कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी तौड़दी। और साथ ही यह श्रेय भारतभक्ति मे संदेह से परे बराबरी से बहिन मायावती को भी जाता हैं, जिन्होंने भ्रमित दलित वर्ग को भी दिशादान देकर कांग्रेस के ताबूत मे कील ठोकदी। अब विभिन्न प्रसंगों की याद कीजिए -- (1)यूपी के एक गैरभाजपाई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलयमसिंह जी के रणनीतिक दबाव पर एक आयएएस महिला अधिकारी(नाम स्मरण नहीं है) को मस्जिद के अनाधिकृत निर्माण को गिरा देने के आरोप पर निलंबित कर दिया था, और इस कारण यूपी का हिंदू सचेत होकर ध्रुवीकृत होगया और परिणाम सामने हैं।

(2) याद कीजिए, अटल सरकार के गिरने के बाद सोनिया नेहरू सारे विपक्ष के समर्थन का दावा करके प्रधानमंत्री बनने के लिए राष्ट्रपति जी के पास पंहुच गई थी, लेकिन इसके आसन्न खतरे को भांपकर भारतभक्त मुलयमसिंह जी ने समर्थन से इंकार कर सोनिया का सपना भंग कर दिया था।
(3) याद कीजिए, 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे विपक्ष ने मोदीजी के खिलाफ अरविन्द केजरीवाल को बनारस से खड़ा कर दिया था। तब मुलयमसिंह जी ने ही रणनीतिक दबाव बनाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान सुबह मोदीजी को मुस्लिम बहुल बुनकर मोहल्ले से रोड़शो निकालने से मना करवा दिया, जबकि शाम को अरविन्द केजरीवाल को यह अनुमति देदी। इससे बनारस का हिंदू समाज एक होगया, और मोदीजी बिना प्रचार में गये, आसानी से जीत गये।
(4) याद कीजिए, 2019 के चुनाव के लिए लोकसभा भंग के पूर्व अंतिम सत्र मे मुलयमसिंह जी ने भावुक होकर खुले रूप से माननीय मोदीजी को पुनः प्रधानमंत्री बनकर आने का आशीर्वाद/शुभकामनाएं देकर अपने यादव/मुस्लिम/दलित समर्थकों को मोदी समर्थन का स्पष्ट संकेत देदिया था।
इस प्रकार जहां नेहरू परिवार/शरत पंवार/चिदम्बरम/अरविन्द केजरीवाल/उद्धव ठाकरे आदि की भारतभक्ति संदेहास्पद/विवादास्पद हैं, वहीं मा. मुलयमसिंह जी तथा बहिन मायावती जी की भारतभक्ति संदेह से परे है।अब एक ऐतिहासिक संदर्भ और -- आपने अंगुलीमाल का नाम तो सुना ही होगा। यह हिंसक दैत्य अपने क्षेत्र से गुजरने वाले हर व्यक्ति की अंगुली काटकर उसे अपनी माला मे जोड़ देता था। लेकिन जब एक बार भगवान बुद्ध वहां से गुजरे, तो उनके उपदेश से सुधरकर वहीं अंगुलीमाल हिंसा त्याग कर महान संत बना। इसी प्रकार मा. मुलयमसिंह जी को भी जब कांग्रेस की देशबेचू मानसिकता का आभास हुआ तो भारतभक्ति ने उन्हें हिंदुत्व का प्रहरी बना दिया। जहां तक रामभक्तों पर गोलीचालन का मामला है, यह एक तत्कालीन अपरिपक्व प्रशासनिक निर्णय था, जिसने व्यथित मुलायम को भी बाद में रामभक्त बना दिया। मुलयमसिंह जी "पद्मभूषण" उपाधि के लिए उपयुक्त पात्र हैं, तथा मोदीजी ने उनके समयोचित सहयोग का सम्मान कर आभार व्यक्त किया है। ।।अस्तु।। अरविंद जैन, उज्जैन

प्रांतीय अध्यक्ष, भारत रक्षामंच, मध्यभारत क्षेत्र। 9424538639

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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