राजस्थान सरकार के 4 साल पूरे, फिर भी मीडिया से क्यों दूरी बना रहे हैं सीएम गहलोत ?

@हनुमानगढ़
राजस्थान सरकार के चार साल से ऊपर का कार्यकाल पूरा हो चुका हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कांग्रेस पार्टी में चल रहे अन्तर कलह युद्ध, पेपर लीक मामले और सचिन पायलट के किसानों के नाम पर हो रहे सम्मेलनों के बारे में मीडिया द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों से बच रहे है। आज जिला मुख्यालय हनुमानगढ़ पर ऐसा ही कुछ प्रत्यक्ष देखने को मिला। आज हुआ कार्यक्रम कांग्रेसी पार्टी का कार्यकर्ता सम्मेलन था लेकिन बावजूद इसके जिला प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया मीडिया के अनुरूप नहीं रहा। अव्वल तो जंक्शन धान मंडी में हुए मुख्य कार्यक्रम में वीआईपी दीर्घा से ही मुख्यमंत्री इतने दूर थे कि मीडिया कर्मियों को उनका फोटो लेने के लिए भी फोटो कैमरा पिक्सल फॉक्स करना पड़ रहा था। सभा स्थल से रवाना होने के बाद सरकारी तंत्र से एकमात्र कैमरामैन को फोटो लेने की इजाजत दी गई जो जिला सूचना और जनसंपर्क अधिकारी द्वारा अधिकृत किया गया। जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक की हठधर्मिता के चलते भी सीएम और मीडिया का समन्वय नहीं हो पाया। दोपहर से लेकर रात्रि तक कैमरा लेकर घूमने वाले कुछ मीडिया कर्मियों को भी सिर्फ चुनिंदा सवाल करने का मौका मिला यानी कि सिर्फ जवाब देना है सवाल कुछ भी नहीं होगा। सीएम अशोक गहलोत के करीबी और जानकार बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री की रणनीति कुछ अलग है, वह अपने काम को खुद से बताने की बजाय सरकार के विभिन्न साधनों और तंत्र के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
पिछले 4 सालों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी उपलब्धियां गिनाई कमियां नहीं गिनाई। जयपुर से ज्यादा वो अपने गृह क्षेत्र जोधपुर में घूमते ज्यादा नजर आए। बीते दिवस श्रीगंगानगर दौरे के दौरान भी मुख्यमंत्री मीडिया से मुखातिब नहीं हुए मीडिया कर्मियों ने जबरन बाइट लेने की कोशिश की तो बिना बोले निकल गए। लोकतंत्र और चुनावी वर्ष में आमजन से समर्थन हासिल करना होगा। सभी सवालों के जवाब देने पड़ेंगे लेकिन ना जाने क्यों इस बार प्रोटोकॉल इतना बढ़ा दिया गया है मुख्यमंत्री का। मैं तो यही कहना चाहूंगा कि वो खुलकर मीडिया के सामने नहीं आ रहे है। हो सकता है उनका मीडिया मैनेजमेंट फेल है या फिर हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर के जिला प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है। वही दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से सीएम सुरक्षा और वीआईपी क्षेत्र को लेकर इतनी बड़ी कोताही बरती गई की अग्रिम पंक्तियों में बैठने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और वरिष्ठ पत्रकारों की जेबें कट गई। करीब 2 दर्जन लोगों के मोबाइल और बटुए गायब हो गए। यानी कि वीआईपी प्रेस पास और इसमें सुरक्षा तामझाम का कोई मतलब नहीं रहा।
मुख्यमंत्री जवाब दें ?