ओबीसी आरक्षण को लेकर सरदार सेना का आक्रोश मार्च एवं प्रदेश व्यापी ज्ञापन सम्पन्न

ओबीसी आरक्षण को लेकर सरदार सेना का आक्रोश मार्च एवं प्रदेश व्यापी ज्ञापन सम्पन्न ||

वाराणसी:- जैसा कि आप सभी जानते है कि भाजपा की योगी और मोदी सरकार ने ओबीसी को अपने पैर की जूती समझ लिया है इसलिए अब सरदार सेना सामाजिक संगठन आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और पूरे ओबीसी समाज से यह अनुरोध करता है कि अब हमें आपको मिलकर लड़ना होगा जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचायतों एवं निकाय चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण पर एक गाइडलाइन जारी किया गया है और उन्होंने प्रदेश सरकारों को निर्देशित करते हुए कहा था कि ओबीसी की प्रकृति की जांच की जाए इसके पूर्व में महाराष्ट्र मध्य प्रदेश बिहार में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उच्च न्यायालय ने उपरोक्त राज्य में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाया था तो इन तमाम घटनाओं के बाद क्या योगी सरकार को निकाय चुनाव से पहले माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए ओबीसी की जातिगत जनगणना अथवा प्रकृति की जांच नहीं कर लेना चाहिए था?

मेरा तो यह मानना है कि ओबीसी के खिलाफ भाजपा सरकार की यह साजिश है पहले से सब कुछ पता था तो फिर जांच का कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया? ओबीसी समाज को बरगलाने और भ्रम में रखने का भाजपा सरकार की कुप्रयास है अथवा ओबीसी समाज को ठेंगा दिखाया जा रहा है सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी समाज की अधिकारों की लड़ाई हेतु अब हमें शांतिप्रिय तरीके से न्यायोचित संघर्ष द्वारा आर-पार लड़ना होगा |

सरदार सेना का प्रदेशव्यापी ज्ञापन के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय से अनुरोध है कि निम्न 3 सूत्रीय मांगों पर तत्काल न्यायोचित कदम उठाया जाय –

  1. उ.प्र. सरकार को निर्देशित किया जाय कि तत्काल जातीय जनगणना कराकर ओबीसी को उसके आबादी के बराबर नगर निकाय में आरक्षण निर्धारित किया जाय |
  2. जब तक ओबीसी का आरक्षण लागू न हो पाये तब तक नगर निकाय चुनाव को रोका जाय |
  3. उ.प्र. सरकार को तत्काल निर्देशित किया जाय कि सरकार ओबीसी समाज के न्याय हेतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित गाइडलाईन का पालन करके ओबीसी को सभी विधाओं में उसके आबादी के बराबर अधिकार सुनिश्चित किया जाय |

सरदार सेना के कर्मठ साथियों के संघर्षों के बदौलत सरदार सेना संगठन को संघर्ष का दूसरा नाम स्वरूप जाना जाता है। सरदार सेना के राष्ट्रीय कोर कमेटी के निर्देशानुसार इस बार 31 दिसंबर वार्षिकोत्सव को संघर्ष दिवस के रुप में मनाया गया 31 दिसंबर को ही प्रदेश भर के सरदार सैनिकों द्वारा राष्ट्रपति को नामित प्रदेशव्यापी ज्ञापन सैकड़ों की तादाद में इकट्ठा होकर दिया गया ||

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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