
श्री शाहरुख खान कहते हैं कि सिनेमा समाज में बदलाव का साधन है ! इस बात पर आपत्ति नहीं है !! किंतु इस बदलाव की दशा और दिशा क्या होनी चाहिए इस पर सद्बुद्धि पर बल देते हुए विचार किया जाना चाहिए । यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह बदलाव शाश्वत और उच्च मानक के सभ्यता और संस्कृति के सामाजिक मूल्यों के संरक्षण की ओर होना चाहिए ।
कोई भी फिल्म अभिनेता सामाजिक दायित्व से मुक्त नहीं हो
सकता । और जिन धनात्मक पौजीटिव लोगों के जिंदा रहने की बात शाहरुख खान साहब कर रहे हैं उस धनात्मकता / जीवित होने का आकलन भी इसी मानक पर होना चाहिए । लगभग नग्न बिकनी डांस जो नायिका के साथ अभिनेता जी ने किया है वह समाज में किस श्रेणी का बदलाव / धनात्मकता लायेगा ?
नयी उम्र के बच्चे इससे
क्या शिक्षा ग्रहण करेंगे ?
इस तरह की नग्न ,अश्लीलता , फूहड़ता न हिंदू समाज में संस्कृति में श्लाघ्य कहीं जा सकती है न मुसलमान पठान समाज की तहजीबो अदब के पैमाने पर ही सही कही जा सकती है !!!!!!!
दीपिका पादुकोण को सभ्य सुसंस्कृत
महिला समाज की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए । सम्पूर्णत : महिला सशक्तीकरण , स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए भी इस प्रकार की फूहड़ता नग्नता अश्लीलता का समर्थन नहीं किया जा सकता !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
कला में कुछ तो कलात्मकता होनी ही चाहिए ।
कला का उद्देश्य भी समाज में शिवत्व की , अच्छे मूल्यों की स्थापना ही है । ।