विकास दुबे जैसे हिस्ट्रीशीटर को भी जरूर किसी बड़े नेता की शरण मिली हुई होगी तभी उसने इतना दुस्साहस किया होगा?
।कल रात उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गयी पुलिस की टीम पर विकास दुबे के लोगो ने हमला कर दिया जिसमे 1 डीएसपी समेत 8 पुलिस के जवान शहीद हो गए और 4 पुलिस के जवान गभीरं रूप से घायल हुए। यह वो ही विकास दुबे है जिस पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज है जिसमे हत्या के प्रयास, डकैती जैसे संगीन आरोप है, यह वो ही विकास दुबे है जिसने 2001 में वहां के स्थानीय नेता की थाने में हत्या करी थी जब उत्तर प्रदेश में राजनाथ की सरकार थी।
घटनाक्रम को देखिए… पुलिस धारा 307 में विकास दुबे को पकड़ने जाती है लेकिन उसे पहले से ही यह खबर कोई दे देता है इसलिए उसे पुलिस को घेरने का पूरा मौका मिलता है, रास्ते मे जे.सी.बी. अड़ा कर रास्ता रोका जाता है और जैसे ही पुलिस की गाड़ी रुकती है बस अंधाधुन फायरिंग शुरू हो जाती है मानो कोई फ़िल्म का सीन शूट हो रहा हो। प्रश्न यह उठता है कैसे विकास दुबे को पहले से पुलिस के आने की खबर लगी ? कैसे विकास दुबे और उसके साथियों के पास इतने सारे हथियार आये ? क्या कुछ पुलिस वाले ही विकास दुबे से मिले हुए थे ?
आप सोचिये की जब उत्तर प्रदेश में पुलिस ही सुरक्षित नही है तो जनता का क्या हाल होगा ? एक नजर उत्तर प्रदेश के क्राइम रिकॉर्ड पर भी डाले तो स्थिति पता चलेगी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यू�