❄️World Bank ने शिक्षा में सुधार हेतु करीब 3,700 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी
विश्व बैंक ने कहा कि उसके कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत के छह राज्यों में शिक्षा में सुधार के लिए 50 करोड़ डॉलर अर्थात लगभग 3,700 करोड़ रुपये के कर्ज को स्वीकृति प्रदान की है.
विश्व बैंक (World Bank) ने भारत में शिक्षा में सुधार से जुड़े कार्यों के लिए लगभग 3,700 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी है. यह जानकारी विश्व बैंक द्वारा 28 जून 2020 को दी गई है. विश्व बैंक ने कहा कि उसके कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत के छह राज्यों में शिक्षा में सुधार के लिए 50 करोड़ डॉलर अर्थात लगभग 3,700 करोड़ रुपये के कर्ज को स्वीकृति प्रदान की है.
विश्व बैंक ने एक बयान जारी कर कहा कि बैंक के निदेशक मंडल ने 24 जून 2020 को भारत में शिक्षा सुधार से जुड़े कार्यों के लिए ऋण की स्वीकृति दी है. इस पैसे से स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा और स्कूलों के संचालन में सुधार लाया जाएगा. इससे 15 लाख स्कूलों के छह से 17 साल की आयु के 25 करोड़ छात्रों और एक करोड़ से अधिक शिक्षकों को फायदा पहुंचेगा.
सरकारी स्कूलों में शिक्षा-व्यवस्था मजबूत बनाना
सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मजबूत करने के साथ ही सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बने भारत और विश्व बैंक के रिश्ते की ठोस बुनियाद पर टीचिंग लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम (स्टार्स) तैयार हुआ है. विश्व बैंक टीचिंग लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम (स्टार्स) से पहले शिक्षा क्षेत्र में तीन अरब डॉलर की सहायता दे चुका था.
टीचिंग लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम (स्टार्स) कार्यक्रम सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मजबूती देने तथा हर किसी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये साल 1994 से भारत व विश्वबैंक के रिश्ते की ठोस बुनियाद पर तैयार हुआ है.
छह राज्यों में शिक्षा में सुधार
विश्व बैंक ने बयान में कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के साथ भागीदारी में मूल्यांकन प्रणालियों को अच्छा करने जैसे कई कार्यों में मदद मिलेगी.
विश्व बैंक के निदेशक ने क्या कहा?
इस संबंध में भारत में विश्व बैंक के निदेशक जुनैद अहमद ने कहा कि टीचिंग लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम (स्टार्स) में स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन को मजबूत करने, शिक्षक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया है कि किसी भी पृष्ठभूमि का कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से अछूता ना रहे.