बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी के सदारत में अदा की गयी अगहनी जुमे की नमाज

बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी के सदारत में अदा की गयी अगहनी जुमे की नमाज ||

वाराणसी :- पुरानापुल पुल्कोहना स्थित ईदगाह में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी के सदारत में अगहनी जुमे की नमाज अदा की गयी | इस मौके पर सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अदा करता है ये सिलसिला लगभग 452 साल पहले से चली आ रही है उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे किसान परेसान थे बारिस न होने की वजह से खेती नही हो रही थी देश में अकाल पड़ा था तब बुनकर समाज ने अपना कारोबार बंद कर इकठ्ठा होकर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया अल्लाह का करम हुआ और जम कर बारिस हुयी किसानो में खुसी की लहर दौड़ गयी |

तब से ये परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बायीसी निभा रही है बनारस की सबसे बड़ी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो साहब ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहजीब की एक जीता जागता सुबूत है सदियो पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे सभी वर्ग के लोग परेसान और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेसानी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने मुर्री बंद कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ को असर हुआ चारो तरफ खुशाली आई किसान और बुनकर दोनों के कारोबार में बरक्कत हुयी और ये परंपरा आज भी हम सब निभा रहे है आज के दिन हमारे किसान भाई द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है उन तमाम दुकानो से मुसलमान भाई अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर दुकानों से गन्ना खरीद कर घर ले जाते है यही हमारा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है |

तक़रीर मौलाना जाहिर साहब ने की तक़रीर में मौलाना साहब ने सभी से मिल्लत और भाई चारगि बनाने की अपील की और कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ लेकर चलता है आज हम सब को इसी की जरुरत है । आज अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना जाहिर साहब ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना साहब ने मुल्की की तरक्की के लिए दुआये की |

आपस में भाईचारगी बानी रहे उसके लिए दुआ की बुनकर भाइयो के कारोबार में बरक्कत के लिए दुआ की । मुल्क में सभी को रोजगार मिले उसके लिए दुआ की और हम सब को नेक राह पर चलने की दुआ की और सभी लोगो से नमाज पढ़ने की दुआ की सादगी से शादी हो बिना खर्च के शादी ब्याह हो उसके लिए दुआ की | अगहनी जुमा के नमाज के बाद बायिसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन साहब ने अपने दो बेटे मकबूल आलम और मंजूर आलम की निकाह सादगी के साथ ईदगाह में नमाज के बाद कराई और समाज को एक संदेश दिया की कम से कम खर्च में अपने बच्चो की शादी सादगी के साथ करे |

अगहनी जूम की नमाज में पूर्व सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा, हैदर महतो , हासिम सरदार , हाजी बाबू , हाजी तुफैल , हाफिज नसीर , बाबूलाल किंग ,हाजी इस्तियाक , पार्षद गुलशन अली , मौलाना शकील , पार्षद हाजी ओकास अंसारी ,डा0 इम्तियाजुद्दीन ,हाजी गुलाब , हाजी अब्दुल रहीम ,हाजी स्वालेह ,मो0 अहमद ,हाजी महबूब अली , सरदार नसीर ,हाजी मतिउल्ला , मो0 हारून , हाजी मोइनुद्दीन ,फैसल महतो ,अतीक अंसारी ,हाजी बाबूलाल किंग ,समीम अंसारी, वाजीहुद्दीन ,हाजी समसुद्दीन , हाजी मुमताज ,हाजी नईम आदि लोग मोजूद थे ||

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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