श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का भव्य हुआ दरबार, सुंदर हुआ जीर्णोद्वार, अब बाबा करें जीवों का उद्धार – श्री श्री 108 स्वामी देवी प्रसाद ||
सांसारिकता और भौतिकतावाद से जिनका अंत हो जाए वहीं संत है – स्वामी श्री ||

आचरण का अनुशासन में रहना बेहद जरूरी है अनुशासनविहीन प्राणी पशु के समान है – शारदा पीठाधीश्वर ||
वाराणसी :- माता शारदा मैहर धाम के पीठाधीश्वर परमहंस योगिराज तपोनिष्ठ पंडितप्रवर भजनानंदी शरदानंदन भुसुर दर्शनीय सदगुरुदेव भगवान श्री श्री 108 देवी प्रसाद जी महराज और उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रधान पुजारी श्री पवन पांडेय शास्त्री जी महराज ने श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद पहली बार रविवार को दर्शन किया कैलाशपुरी कॉलोनी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में स्वामी श्री ने भव्य कॉरिडोर बनने पर प्रसन्नता जाहिर की उन्होंने कहा की देश के सभी देवालयों का जीर्णोद्वार तो होना ही चाहिए साथ ही जीव का भी उद्धार हो, ऐसा प्रयास सभी मानव जीवन को करना चाहिए |
उन्होंने संत की परिभाषा बताते हुए कहा की सांसारिकता और भौतिकतावाद से जिनका अंत हो जाए वहीं संत है जिसने मन से वेद, पुराण और ऋचाओं का मनन किया वह मुनि हो गया स्वामी श्री ने कहा की आचरण का अनुशासन में रहना बेहद जरूरी है अनुशासन विहीन प्राणी पशु के समान है अनुशरण भी उतना ही जरूरी है लगभग सभी सनातनी रामचरित मानस और भागवत को सुने है लेकिन प्रश्न यह है की उसका अनुसरण कितनों ने किया है जिसने अनुसरण किया वह परमानंद को प्राप्त हो गया |
स्वामी श्री ने कहा की मंदिर का जीर्णोद्वार तो हो गया बहुत ही सुंदर और भव्य दरबार बन गया अब उस परमात्मा से यह प्रार्थना है की इस मन मंदिर को भी सुंदर बनाएं और जीवन का उद्धार करें उन्होंने कहा की ईश्वर के किसी एक स्वरुप को पकड़ें, पाखंड से दूरी बनाते हुए उन्हें भजे और परमानंद की अनुभूति करें उन्होंने कहा की भगवत भजन करने के लिए किसी को त्यागना नहीं है, केवल पकड़ना है भगवान के चरण,उनकी भक्ति और उनके मार्ग को पकड़कर चलते रहे ईश्वर की अनुभूति भी होगी और तनावमुक्त रहेंगे ||