
पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022, को कार्तिक मास की पूर्णिमा की तिथि को लगने जा रहा है. शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का समय अच्छा नहीं होता है। जिसके कारण इस समय विशेष सावधानियां रखने की आवश्यकता होती है। कहा जाता है की चंद्र ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बहुत अधिक हो जाता है। जिसके बचाव के लिए व्यक्ति को बहुत से उपाय भी करने होतें है। अनुमान के अनुसार 8 नवंबर को लगने वाला यह ग्रहण करीब पौन घंटे तक रहेगा। यह ग्रहण सायं 05:32 से शुरू होकर सायं 06:18 मिनट तक लगेगा।
ग्रहण के समय क्या करना चाहिए ?
ग्रहण के समय मंत्रों का जाप करने से किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव व्यक्ति को कष्ट नहीं पंहुचा पातें है। ठीक उसी प्रकार ग्रहण के प्रभावों को विफल करने के लिए ग्रहण के बाद दान करना भी बहुत उत्तम माना जाता है, इस बार का चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होने वाला, जिसके कारण इस दिन भगवान विष्णु के सत्य स्वरुप की आराधना करना भी बहुत फलदायक होगा। बहुत से लोग इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ भी करतें है। साथ ही ब्राह्मण रुपी गुरु को भोज करवाया जाता है। कहा जाता है ब्राह्मण ईश्वर के सबसे निकट होता है जिसके कारण उन्हें कथा के पश्चात् भोज करवाने से बहुत ही उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
कैसे लगता है चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण?
असल में यह एक खगोलीय घटना होती है. चंद्र ग्रहण उस खगोलीय घटना को कहा जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है. वहीं, सूर्य ग्रहण तब माना जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से होकर गुजरता है.
क्या है ग्रहण सूतक काल?
शास्त्रों में सामान्य तौर पर ग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और ग्रहण के खत्म होते ही सूतक भी खत्म हो जाता है.
चंद्र ग्रहण कैसे देख सकते हैं?
चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है. चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं. आप चाहें तो टेलिस्कोप की मदद से भी चंद्र ग्रहण देख सकते हैं.
जाने चंद्रग्रहण में क्या करें और क्या न करें
ग्रहण के समय खाने पीने की मनाही होती है। कहा जाता है की इस दौरान खाना बनाना या खाना नहीं चाहिए। परन्तु यह नियम रोगी ,बच्चों और बुजुर्गों पर लागु नहीं होता है।
ग्रहण के दौरान सोया भी नहीं जाता है। इस समय किसी भी व्यक्ति को निंद्रा नहीं लेनी चाहिए।
ग्रहण काल के समय पूजा – पाठ की मनाही होती है। इस कारण से इस समय पूजा की मूर्ति को छूना मना होता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में अधिक ध्यान रखना होता है। इस कारण उन्हें ग्रहण के समय अपने पास एक नारियल आवश्य ही रखें चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण के प्रभावों का असर बालक पर होने का भय समाप्त होता है।
ग्रहण काल में मन , शरीर एवं बुद्धि को सामान्य रखना चाहिए और किसी भी बुरे कार्य को करने का नहीं सोचना चाहिए।
ग्रहण काल में सभी के प्रति अच्छा व्यवहार रखना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को भूल के भी इस दौरान किसी का अपमान नहीं करना चाहिए और सदैव एक – दूसरे के साथ मिल झूल के रहना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति ग्रहण काल में किसी को अपमानित करता है तो शनिदेव के नकारात्मक प्रभावों का भार उसे जीवन भर उठाना पड़ता है।
ग्रहण काल के समय सुनसान रास्तें पर नहीं जाना चाहिए।