आखिर मैहर माईं की रसोई ,,खिचड़ी,, का विरोध के बाद भी इतना पॉपुलर होने पर श्रेय किसको?
वर्षो पहले एक किलो की कटोरे की हलुआ आज मध्यप्रदेश के अलावा कई प्रदेश के भक्तों के बीच माई की रसोई,, खिचड़ी,, आखिर इतना चर्चित क्यो हुआ?
आखिर कई वर्षों से कलम की मेहनत का फल किसको मिला और किसको मिली केवल कलम?

गोवर्धन गुप्ता मैहर। आज माँ शारदा देवी के धाम में हर कोई कुछ न कुछ पाया और कुछ खोया आज हम उस शख्सियत की बात करने जा रहे है जो मैहर की माँ शारदा देवी के पुजारी परिवार की बात जो श्री देवी प्रसाद पांडेय जी जो मुख्य प्रधान पुजारी रहे थे अब शासन के गाइडलाइन अनुसार अब उनके पुत्र श्री पवन पांडेय जी को बनाया गया जबकि इस परिवार के विरोध में तरह तरह के मामलों में न्यायालय के चक्कर काटने पड़े और पड़ रहे है, उसके बाद भी पुजारी परिवार के बम बम महाराज के पुत्र जो पढ़ाई के बाद मैहर में आये तो सुर्खिया बटोरने में पीछे नही रहे होशियारी व चतुराई, खुराफाती व हर छोटी बड़ी शख्शियत के बीच अपने मोहनी मन्त्रो से सबको अपनी ओर आकर्षित करने माहिर धीरज पांडेय लाखो बदनामियों के बीच एक ऐसे कार्य को मास्टर मांइड खोपड़ी में जगह बना ली जो खुद शायद धीरज पाण्डेय को भी नही पता थी कि एक छोटा सा प्रसाद का कटोरा एक दिन कई प्रदेशों में धूम मचाएगा और लाखों भक्तों के चहेते बन कर माई के रसोई ,, खिचड़ी ,, एक अलग पहचान बनाएगी, वही मैहर क्षेत्र के ज्यादातर लोग यह भी जानते है कि पुजारी परिवार के खिलाफ बहुत से मामले सामने आए उसके बाद भी कलम की बौछारें भी लगातार चलती रही तरह तरह के आरोप प्रत्यारोप लगते रहे जबकि न जाने कलम के माध्यम से किस किस शब्दो को परोसा गया उसके बाद भी मंदिर परिषर में कटोरा के हलुआ के विरोध के बाद रोपवे कंपाउंड में निशुल्क खिचड़ी धमाल मचाने लगी यानी ,, सूत्र बताते है कि जितना विरोध धीरज पांडेय का व उनके माई के रसोई व खिचड़ी का किया गया आज उसका उल्टा असर हुआ और इस निशुल्क खिचड़ी के लाखों भक्त दीवाने हो गए सोच चाहे जो रही हो लेकिन आज की स्थिति में धीरज पांडेय को एक अलग ही बुलन्दी पर पहुचा दिया है जानकारों से मिली जानकारी अनुसार निशुल्क माई की रसोई व खिचड़ी के सेंटर अन्य धार्मिक नगरी में खुलने की तैयारी चल रही है जिस तरह मैहर में संचालित हो रही माई की रसोई व खिचड़ी उसी तरह अन्य प्रदेशों के धार्मिक स्थलों पर यह संस्था सेवा की तैयारियों में जुट चुकी है, वैसे जिस तरह लोगो की सोच थी कि मंदिर परिसर से हलुआ का प्रसाद वितरण को नीचे कर दिया जाए तो पूरी तरह बन्द हो जाये लेकिन ऐसा नही हुआ सोचने पर यह समझ मे आ रहा है कि उन्ही विरोधियों के कलम ने आज धीरज पांडेय को इस मुकाम पर पहुचाया है, वही इनदिनों राजनीति में धीरज पांडेय की वापस पर पार्टी के कुछ नेताओ के दिल मे दर्द भी बढ़ने लगी है मैहर में इसकी चर्चा जोरों पर है।