सिद्धार्थनगर: न्याय के लिए इटवा SDM कार्यालय पर पहुंचा अन्नदाता, हुआ कुछ ऐसा कि निकल पड़े आंसू
~ सरकारी सिस्टम के सताए लोग आंसू बहाने को मजबूर, न्याय की आस में काट रहे चक्कर
~ “न्याय मिल जाता तो आंसू नहीं बहाने पड़ते…पीडित लाल मोहन शर्मा
- न्याय के लिए दर-दर भटक रहा पीड़ित
- तहसील इटवा क्षेत्र के मुड़िला चंदनराय का मामला

सिद्धार्थनगर: अधिकारियों की चौखट पर बैठकर आंसू बहा रहा ये पीड़ित किसान योगी के अधिकारियों, पुलिस और राजस्व कर्मियों की अवहेलना से तंग है। इसकी शीशम के पेड़ पर दबंग कब्जा करने की फिराक में हैं और शिकायती पत्र पर अधिकारी चिड़िया बैठाकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं।
जानकारी के अनुसार पूरा मामला इटवा तहसील के त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के मुड़िला चंदनराय गांव का है। गांव निवासी लाल मोहन शर्मा मंगलवार को इंसाफ की भीख मांगने इटवा एसडीएम विकास कश्यप की चौखट पर पहुंचे थे। एसडीएम द्वारा सरसरी तौर पर शिकायत सुनने के बाद त्वरित कार्यवाही न करने पर वो एसडीएम आफिस के बाहर बैठकर बिलख बिलख कर रोने लगा। जिसे देख वहां लोगों की भारी भीड़ जुट गई।
पीड़ित लाल मोहन शर्मा की माने तो उनके गांव के कुछ कथित लोगों के द्वारा उनके दो शीशम के पेड़ पर कब्जा जमाने का प्रयास किया जा रहा है।
पीड़ित लाल मोहन शर्मा करीब एक माह से लगातार तहसील के चक्कर लगा रहे हैं परंतु अभी तक इस मामले का निस्तारण नहीं हो पाया है। पीड़ित ने कहा है की इटवा के उपजिलाधिकारी विकास कश्यप से इस मामले की जानकारी दी गई। परतु अभी इस संबंध कोई भी निराकरण नहीं किया गया है।
इटवा एसडीएम कार्यालय लोगों की समस्या कम करने की बजाय चक्कर लगाने वाला साबित हो रहा है। यहां पहले जो एक बार आने पर काम होता था वह अब यहां कम से कम दस चक्कर लगाने पड़ते हैं। एसडीएम आफिस के काउंटर पर कर्मचारी सिर्फ फाइलें रिसीव कर रहे हैं। लेकिन लेने के आते हैं तो पता चलता है कि अभी फाइल साहब के पास रुकी पड़ी है। ऐसे में लोगों को एक कार्य के लिए कम से कम महीने भर एसडीएम और तहसील कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। कई बार तो मामले की जानकारी लेने के बाद पता चलता है कि साहब मीटिग में अथवा बाहर है, इसलिए अगले दिन आओ। इटवा तहसील और एसडीएम कार्यालय की इस व्यवस्था को लेकर लोग मे काफी आक्रोश है।